कुरुक्षेत्र युद्ध भूमि पर पंचम पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन पूर्ण

कुरुक्षेत्र युद्ध भूमि पर पंचम पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन पूर्ण

इस महासम्मेलन का मुख्य विषय “वसुधैव कुटुम्बकम” रहा. जिसमें स्पष्ट किया गया की हम जिस वसुधा में रहते हैं उस वसुधा के सभी जीव और वनस्पति हमारे कुटुम्ब होते हैं. चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से बताया गया की “हाइब्रिड” अनाज मनुष्य की संस्कृति को नष्ट कर रहा है. इसे किसी भी कारण भक्ष्य नहीं करना चाहिए. प्राकृतिक कृषि करने वाले कृषक भारतीय समाज में सबसे ऊँचा स्थान पर हैं, इस विषय को प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुत किया गया.

उद्घाटन समारोह में हरियाणा का सम्पूर्ण जाट समाज उपस्थित हुआ.

इस महासम्मेलन का मुख्य विषय “वसुधैव कुटुम्बकम” रहा. जिसमें स्पष्ट किया गया की हम जिस वसुधा में रहते हैं उस वसुधा के सभी जीव और वनस्पति हमारे कुटुम्ब होते हैं. चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से बताया गया की “हाइब्रिड” अनाज मनुष्य की संस्कृति को नष्ट कर रहा है. इसे किसी भी कारण भक्ष्य नहीं करना चाहिए. प्राकृतिक कृषि करने वाले कृषक भारतीय समाज में सबसे ऊँचा स्थान पर हैं, इस विषय को प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुत किया गया.

ब्रह्मकाल की कक्षा में गव्यसिद्धों के लिए उद्बोदन देते हुए गुरूजी.

महासम्मेलन के चार दिन प्रात:कालीन सत्र में सेवारत्न गव्यसिद्धाचार्य ने पांचमहाभूत पूजा के साथ – साथ चार अद्भूत विषयों पर संवाद प्रस्तुत किया. प्रथम दिवस – “नवगव्यों का नया विज्ञान” विषय पर संवाद किया. द्वितीये दिवस – मनुष्य जीवन में प्राकृतिक अनाजों की भूमिका एवं “हाइब्रिड” से मनुष्य की मर रही चेतना पर संवाद प्रस्तुत किया. तीसरे दिवस – “ब्रह्मचार्य में वीर्यपाचन” विषय पर संवाद किया. चतुर्थ दिवस – क्वांटम फिजिक्स (तरंगीय भौतिक) से निर्मित विश्व, जिसमें गोमाता से संतुलन विषय पर संवाद प्रस्तुत किया.

प्रात:काल कक्षा में उपस्थित गव्यसिद्ध.

9 नवम्बर को विधिवत उद्घटन हुआ जिसमें वैज्ञानिक श्री मदन मोहन बजाज, आचार्य रामस्वरुप, डॉ. संगीता, डॉ. जी मणि एवं सम्पूर्ण जाट समाज के बीस प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

वैज्ञानिक श्री मदन मोहन बजाज ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया की धरती पर में आ रही भूकंप, सुनामी, तूफ़ान आदि का कारण धरती पर मनुष्य द्वारा की जा रही जीव हत्या है. उन्होंने कहा की आज 80 प्रतिशत संक्रामक रोगों का कारण मांसाहार है. एलोपेथी मेडिकल सिस्टम पर भी उन्होंने कहा की डॉक्टरों द्वारा मरीजों को डरा देने और जाँच रिपोर्ट के असत्य आंकड़ों के कारण सबसे जयादा बीमारियाँ उत्पन्न हो रही है.

उद्घाटन समारोह के अतिथि श्री मदन मोहन बजाज जी, आचार्य रामस्वरूप जी एवं डॉ. जी मणि जी द्वारा वर्ष 2017 नया ज्ञान छाया चित्र का विमोचन करते हुए.
सभी आचार्यों द्वारा गव्यसिद्धों को संबोधन.

इस दौरान “गव्यसिद्ध ” (पंचगव्य चिकित्सा विज्ञान का वार्षिक अंक) भाग – 4 का विमोचन किया गया. साथ ही राजीव भाई दीक्षित एवं गुरुजी के चुनिन्दा व्याख्यानों पर आधारित एम् पी -3 (आडिओ सी डी), पंचगव्य विद्यापीठम की विवरणिका, गोवंदना (गोमाता आधारित दोहों का संग्रह), “वसुधैव कुटुम्बकम” चित्र प्रदर्शन (पोस्टर) एवं गोबर से निर्मित कागज से बनी हुई विविध वस्तुओं का विमोचन किया.

कार्यक्रम के दूसरे दिन भारत के 23 प्रदेशों से आये हुए 321 गव्यसिद्धरों का दीक्षांत हुआ. उन्हें सूर्ययोगी उमाशंकर जी, डॉ. जी मणि, डॉ. संगीता एवं गुरुजी ने अपने कर कमलों से प्रदान कर आशीर्वाद दिया.

प्रमुख वक्ता के रूप प्राकृतिक कृषक शूरवीर सिंह ने कहा की – प्राकृतिक कृषि का मूल मंत्र सभी जीव जंतुओं की रक्षा करते हुए कृषि का कर्म करना है. उन्होंने प्राकृतिक किसानों के कृषक भाव को उद्गारित करते हुए कहा की किसान सभी के लिए कृषि कर्म करता है, वह सभी के खंड (सूक्षम सूक पक्षी, कीट, स्तनधारी जीव एवं अतिथी ) को ध्यान में रखते हुए मिश्रित कृषि करता है.

संत गोपालदास जी ने भी सम्मलेन में भाग लिया. एक समूह चित्र.

कार्यक्रम के दौरान चारो दिन हरियाणवी सस्कृति पर आधारित पौराणिक, लुप्त हो रही सास्कृतिक कार्यक्रमों का शानदार मंचन हुआ. जिसमें कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा कश्मीर श्रजिकल स्ट्राइक पर एक अनूठा मंचन प्रस्तुत किया. हरियाणवी नृत्य, गुरुकुल झझर के ब्रह्मचारियों ने पौराणिक भारतीय युद्धकला का प्रदर्शन किया जिसमें मलखंभ, दंड, रस्सी व्यायाम, भालायुद्ध प्रस्तुत किया. विविध प्रकार की रागिनियों का अद्भूत गायन प्रस्तुत किया गया. लुप्त हो रहा सारंगी वादन की भी प्रस्तुति की गयी.