चेन्नै। सरकार के सभी प्रयाशों के बाद भी भारत में कोरोना का बम फट चुका। वह पूरी गति के साथ बढ़कर लोगों को संक्रमित कर रहा है। यह बहुत जल्द ही देश से समाप्त होगा, इसका कोई लक्षण दिखलाई नहीं दे रहा है। सरकार ने अस्पतालों में रोगियों की बढ़ती हुई संख्या के चलते बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर तथा वेंटिलेटर एकत्र करने पर जोर दे रही है।
परंतु जानकार वास्तविकता कुछ और बता रहे हैं। जो लोग कोरोना की चिकित्सा के लिए एलोपथी चिकित्सा में जा रहे हैं और एंटीबायोटिक के चक्कर में पड़ रहे हैं, अधिकांशत: उनकी हो मौत हो रही है। जो लोग घरेलू चिकित्सा करा रहे हैं उनका ज्वर तीन से चार दिनों में सामान्य हो रहा है। ऐसा दावा है अधिकांश भारतीय चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य करने वाले चिकित्सकों, सिद्धों और वैद्यों का। तमिलों की सिद्ध चिकित्सा से कई कोरोना के रोगी ठीक हुए, यह जानकारी बहुत पहले ही आ गयी थी। इसके बाद पंचगव्य से गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और तमिलनाडू में भी रोगियों के ठीक होने की सूचना मिल रही है।
जबकि सरकार की वैचारिक संकीर्णता भी इन दिनों देखने में आई है। जिनके चलते विभिन्न राज्यों की सरकारें अब केवल अपने राज्य के निवासियों के लिए ही उन सुविधाओं का इस्तेमाल करने के संकेत देने लगी है। जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धभ ठाकरे भी हैं। अब तो मजदूरों एवं प्रवासी कामगारों के सामने माइग्रेशन पूरा हो गया है और जिसे जहां जाना था वह वहां पहुंच गया है, लेकिन वहां पहुंच कर भी इस वर्ग को कोई विशेष राहत मिलती नहीं दिख रही है। कहीं 7 दिन तो कहीं 14 दिन क्वॉरेंटाइन कॉल इन्हें भारी पड़ रहा है। इनमें रहने वाले लोगों के सैंपल एकत्र करने की एक मजबूत एवं सिस्टमैटिक प्रणाली का न होना, सैंपल्स की रिपोर्ट आने में लगने वाली देरी, और इन केंद्रों में भोजन एवं रहने की सुविधाओं का अभाव है। ऐसा ही परिदृश्य लगभग – लगभग सम्पूर्ण भारत का है।
अभी भी भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का ग्राफ ऊंचा ही चल रहा है। इसके सितंबर के महीने तक चलने की संभावना दिखाई दे रही है। तब तक संक्रमित होने वाली लोगों की संख्या इसी वायरस की वजह से ठीक होने वाले लोगों या मरने वाले लोगों के योग के बराबर हो जाएगी। तब इसका ग्राफ ऊपर चढ़ना बंद हो जाएगा। इन हालातों में सितंबर 2020 के मध्य तक तो कोरोना वायरस के समाप्त होने की आशा कम ही है ।
विश्व में मुख्य रूप से कोरोना वायरस से संक्रमितों कि संख्या 70 लाख के पार पहुंच गए हैं। अब तक दुनिया भर में 4 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका दुनिया का सबसे अधिक प्रभावित देश है। भारत में तो यह वी आई पी सुरक्षा को भी तोड़ गया है। पहले जहां इस वायरस के संक्रमण से मुख्य रूप से महानगर एवं बड़े शहर ही संक्रमित दिखाई दे रहे थे वही मजदूरों के प्रवास के बाद से यह कस्बों से होता हुआ गांवों तक भी जा पहुंचा है या तो हम सामुदायिक संक्रमण में प्रवेश कर गए हैं अथवा बिल्कुल इस के मुहाने पर खड़े हुए हैं।
यदि ऐसा हुआ तो देशभर के अस्पताल संक्रमित लोगों से भरे नजर आएंगे, स्थितियाँ अभी से दिखलाई दे रही है। यद्यपि सरकारें पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं जुटा लेने का दावा कर रही हैं, लेकिन अस्पताल संक्रमित लोगों को भर्ती करने की बजाय दूसरी जगह रेफर करने की प्रवृत्ति पर चलते दिखाई दे रहे हैं। कभी ऑक्सीजन या वेंटीलेटर न होने जैसी बातें बताकर उन्हें दूसरी जगहों का रास्ता दिखाया जा रहा है। इसी प्रकार से निजी अस्पताल भी संक्रमण होने के लक्षण दिखने पर मरीजों से बचने की प्रवृत्ति दिखा रहे हैं। यदि वे भरती लेते हैं तो शुल्क कई लाखों में असूल रहे हैं।
इसलिए कोरोना से बचे रहने का एक ही रास्ता है, आप जीवन में आयुर्वेद, सिद्ध और पंचगव्य को अपनाएं।
मै जिला शहडोल मध्य प्रदेश मे रहता हूँ,सहमत हूँ,परन्तु यहाँ पंचगव्य उपलब्ध नहीहै,कैसे व्यवस्था हो सकती है।
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