महाराष्ट्र में नास्तिकों का गुंडाराज ?

महाराष्ट्र के दो संत, श्री कल्पवृक्ष गिरि‚ श्री सुशील गिरि और उनके ड्राइवर की बेरहमी के साथ पीट – पीटकर नस्तिकवादियों ने हत्या कर दी गई। यह घटना महाराष्ट्र के पालघर में घटित हुई. दोनों संत जूना अखाड़े से थे.

यह घटना एक सभ्य भारतीय समाज के माथे पर कलंक है। विडियो देखने से पता चलता है की नास्तिक लोग हिन्दू धर्म के प्रति कितने वहशीपन हो गए हैं. हत्यारा इतना क्रूर और निर्दयी हो सकता है मैंने तो कभी कल्पना भी नहीं किया था. इस भारत देश में भी ऐसा हो सकता है.

पूरी घटना घटना से सवाल उठन ही था‚ उस पर अपने पिता और पार्टी का जमीर बेच देने वाले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सामने आए और कहा कि यह दो समुदायों से जुड़ा मामला नहीं है‚ लिहाजा इसे सांप्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। ठाकरे को यह बात कहने भी चार दिन लग गए. ठाकरे अपने ह्रदय से पूछ कर देखें की यदि ऐसी ही घटना दो मौलवियों या दो पादरियों के साथ घटती तो आज क्या होता ?

बीजेपी ने जब इस घटना को लेकर महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला तो जवाब में विरोधियों ने बीजेपी को ही जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया। इस मामले को लेकर महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने एक बड़ा दावा किया कि वायरल वीडियो फुटेज में साधुओं की पीट–पीटकर हत्या करने वाले आरोपी एनसीपी और कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता हैं। प्रवीण दरेकर ने तो यहां तक कहा कि राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने घटना में शामिल 101 आरोपियों की सूची जारी कर बताने की कोशिश की कि इसमें कोई मुस्लिम नहीं है।

प्रश्न यही उठता है की फिर सीसीटीवी फुटेज में दिखाई देने वाले कौन हैं और किससे संबंधित हैं? इस पूरी घटना में पुलिस का दोष पूरा दिख रहा है. पुलिस तो ठाकरे सरकार की है. क्योंकि अगर पुलिस चाहती तो दोनों साधुओं को बचाया जा सकता था‚ मगर पुलिस ने साधुओं को भीड़ के हवाले कर दिया, मूकदर्शक बनकर भीड़ की हैवानियत देखती रही.

कांग्रेस चुप है. जिसने अखलाक‚ तबरेज और पहलू खान की हत्या पर लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन किया था. राहुल गांधी तो नोएडा में अखलाक के घर तक गए थे. इतना ही नहीं‚ अखलाक के घर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल‚ असुदद्दीन ओवैसी‚ माकपा की वृंदा करात जैसे नेताओं की लाइन लग गई थी. देश के सभी बुद्धिजीवियों (जो भारत को नास्तिक देश बनाना चाहते हैं.) ने एक – एक कर अपने अवॉर्ड वापस करने शुरू कर दिए थे. इंडिया गेट पर मोमबत्तियां जलाकर प्रदूषण फैलाये थे.

अब साधुओं की हत्या पर सभी जाहिल सेक्युलरों को जैसे सांप सूंघ गया है. अनुराग कश्यप‚ स्वरा भास्कर‚ जावेद अख्तर, अकबरुद्दीन ओवैसी, कन्हैया, केजरीवाल और नसीरुद्दीन शाह जैसे लोगों को यह घटना दिखलाई नहीं दे रहा है. अवॉर्ड वापसी गैंग भी मुह पर गोबर बांध कर बैठे हैं. ऐसी शांति है मानो कुछ हुआ ही नहीं हो।

एक सच्चा देशभक्त पत्रकार अर्णब गोस्वामी ने इस घटना को लेकर कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से सवाल पूछे‚ तो पूरा गैंग उनके खिलाफ हो गया। कांग्रेस – शासित सभी प्रदेशों में अर्णब के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। इतना ही नहीं‚ मुंबई में तो अर्णब और उनकी पत्नी पर हमला तक कर दिया गया।

अपने को मानवाधिकार कार्यकर्ता कहने वाली अरुंधती राय कह रही है की मोदी सरकार कोरोना के बहाने मुसलमानों पर जुल्मो – सितम कर रही है. लेकिन उसे डॉक्टरों हो रहे हमले नहीं दिखाते. उन्हें साधुओं की हत्या भी नहीं दिखती. जैसे मोतियाबिंद की ऑपरेशन करा कर बैठी है.   मगर जमातियों को पकड़ने में जद्दोजहद करती पुलिस‚ मुसलमानों पर अत्याचार करती नजर आती है. साधुओं के मारे जाने पर इसकी कंठ में भी मछली के कांटे फास गई है.

पालघर कोई अकेली घटना नहीं है. ऐसी दर्जनों घटनाएं हैं‚ जिन पर इन लोगों ने चुप्पी साधे रखी है. 1) स्वामी लIमणानंद की नृशंस हत्या हुई‚ 2) पश्चिम बंगाल के वर्धमान में हिंदू महिला को बच्चा चोर होने के आरोप में पीट – पीट कर मौत के घाट उतार दिया गया‚ 3) उत्तर प्रदेश के नवयुवक चंदन को मार दिया गया‚ 4) कर्नाटक के प्रशांत पुजारी‚ 5) तमिलनाडु के वी. रमेश‚ 6) बाड़मेर के 22 साल के खेतराम भील समेत न जाने कितने ऐसे मामले हैं.

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