लूटियंस हिल्स से मुक्ति होगा भारत

चेन्नै. फिरंगियों ने भारत की आज़ादी के नाम पर भारत की सत्ता का केवल हस्तानान्तरण किया. इसीलिए जाते – जाते वर्तमान संसद भवन का निर्माण कराया. इस संसद भवन के निर्माण के पीछे यही उद्देश्य था की भारत को ब्रिटेन से बैठ कर लूटते रहना. अर्थात भारत की रिमोट से संचालित करना. इस संसद भवन से 72 वर्षों तक भारत के साथ क्या – क्या हुआ. कुछ बानगियाँ गिनाई जा सकती है. 1) 1947 में भारत की कैरेंसी दुनिया के सभी देशों से या तो बराबर थी या अधिक. आज इसकी कीमत 70 गुना गिर गई है. समझ के लिए हम 70 रुपये का माल जब निर्यात करते हैं तो हमें 1 रूपया मूल्य मिलाता है. वहीँ जब हम 1 डालर का माल आयात करते हैं तो हमें 70 रूपया चुकाना पड़ता है. 2) 1947 में यहाँ गायों की संख्या 32 करोड़ थी. 72 वर्षों में गौहत्या इतनी हुई की आज लगभग 150 प्रजातियाँ जड़ – मूल से नष्ट हो चुकी है और गायों की संख्या घट कर 2 करोड़ के आस – पास बची है.

फिरंगियों ने भारत के ज्योतिषियों को मार – पीट कर जानकारी जुटाई थी की भारत में कौन सी भूमि है जहाँ से सत्ता चलाने पर भारत भीखारी बन सकता है ? यही भूमि है लूटियंस हिल्स. जहाँ पर वर्तमान संसद भवन है. यहाँ से बैठ कर कोई भी सत्ता चला ले, भारत देश का भला नहीं हो सकता. इसलिए अच्छा हुआ की प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने नए संसद भवन के निर्माण के लिए दूसरे स्थान पर भूमि पूजा कर डाली और 2022 तक तैयार कर देने का लक्ष्य भी रख डाला.

अब देखना है की नए संसद भवन के निर्माण में भूमि के चुनाव में इस प्रकार की कोई प्रक्रिया रखी गयी है या नहीं? यह भूमि भारत देश के लिए भाग्य विधाता हो. 10 दिसंबर को जब नए संसद भवन की नींव रख दी गई है तो सवाल उठता है कि नए संसद भवन के निर्माण के बाद पुराने संसद भवन की उस जगह को क्यों न राष्ट्रीय स्मारक में बदल दिया जाए, जहां से 91 वर्ष पहले शहीद भगत सिंह ने फिरंगियों को चेताने के लिए बम फेंके थे.

नया संसद भवन त्रिभुज के आकार का होगा जो 64 हज़ार 500 वर्ग मीटर इलाके में फैला होगा, जबकि पुराना संसद भवन गोलाकार है जो 47 हज़ार 500 वर्ग मीटर इलाके में फैला हुआ है. नए संसद भवन में लोकसभा में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी. फिलहाल भारत में लोकसभा की 543 सीटें हैं. इसी तरह नए संसद भवन की राज्यसभा में 384 सदस्य बैठ पाएंगे, जहां फिलहाल 245 सीटें हैं. जब नए संसद भवन में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाई जाएगी तो इसके लिए निर्धारित हॉल में 1 हज़ार 272 सदस्यों के एक साथ बैठने की व्यवस्था होगी.

2026 में भारत में लोकसभा की सीटों के लिए परिसीमन होना है और संभावना है कि तब लोकसभा की सीटें 543 से बढ़ाकर 800 तक जा सकती हैं. इसलिए भविष्य को देखते हुए नए संसद भवन में बैठने के लिए 150 प्रतिशत अधिक सीटों की व्यवस्था की गई है. नया संसद भवन पूरी तरह से भूकंप रोधी होगा और इसे सांसदों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा. इसके अलावा नया संसद भवन पूरी तरह से इको फ्रेंडली होगा, जहां बिजली की खपत भी पहले के मुकाबले 30 प्रतिशत कम होगी. फिलहाल संसद भवन का बिजली बिल करोड़ों रुपये में आता है.

नए भवन का निर्माण करीब साढ़े 900 करोड़ रुपये में होगा, जबकि अंग्रेज़ों के ज़माने में मौजूदा संसद भवन के निर्माण पर 83 लाख रुपये खर्च हुए थे. अभी कार्य भी शुरू नहीं हुआ है और  इसके निर्माण के ख़िलाफ़ भी कई लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं. नए संसद भवन का विरोध करने वालों का कहना है इसके द्वारा सरकार कई मूल – चूल परिवर्तन में बदलाव करेगी और इससे पर्यावरण को भी नुकसान होगा. जहां कुछ लोगों को ग़ुलामी के प्रतीक चिन्ह तो स्वीकार हैं लेकिन आत्म निर्भर भारत का आत्मनिर्भर संसद भवन पसंद नहीं है. हालांकि इन तमाम विरोधाभासों के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने इस नए भवन का शिलान्यास कर दिया. बहुत सारे विपक्षी नेताओं ने ये कहकर इसका विरोध किया कि भूमि भूजन करके प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ़ एक धर्म को बढ़ावा दे रहे हैं. लेकिन सच ये है कि इस शिलान्यास कार्यक्रम में सभी प्रमुख धर्मों के धर्मगुरुओं ने प्रार्थना है.

 

  • साभार, पल्लव टाइम्स

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