कश्मीर में सोनिया, शेख और सैयद

जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला परिवार और सैयद परिवार अपनी – अपनी पार्टियां नेशनल कान्फ्रेंस व पीडीपी के झंडे के नीचे जमा हुए. कारण ; उन्हें नजरबंदी से मुक्त किया गया. दोनों पार्टियाँ एक ही सिक्के के दो पहलू. फूटी आँखों नहीं सुहाते. लेकिन कश्मीर मुददे पर दोनों एक ही साये में बैठ रहे हैं. बोल हैं – भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 की दोबारा बहाली चीन की सहायता से की जाएगी. इस बैठक में सीपीएम भी शामिल रहा. कश्मीर की दो और पार्टियाँ पीपुल्स कान्फ्रेंस और जे. के. पीपुल्स मूवमेंट ने भी साथ दिया. विषय स्पष्ट था – संघीय संविधान में अनुच्छेद 370 को दोबारा फिट करना. इस बैठक में जम्मू या लद्दाख का कोई प्रतिनिधि भाग नहीं लिया या उसे दूर ही रखा गया.

जिस दिन नरेंद्र मोदी की सरकार ने अनुच्छेद 370 की दीवार तोड़ कर आम कश्मीरी को राहत दी, उसी दिन इन दोनों बड़े लोगों के पारिवारिक क्लब में तहलका मच गया था. यह तहलका चीन और पाकिस्तान में भी मचा. अब अब्दुल्ला परिवार और सैयद परिवार को लगता है कि पाकिस्तान के भरोसे ज्यादा देर नहीं बैठा जा सकता. पाकिस्तान हथियार और आतंकवादी ही भेज सकता है और वह तो निरंतर भेज ही रहा है. ऐसे में इन दोनों परिवारों का झुकाव चीन की ओर होना निश्चित ही था. जैसा डर था, वही हुआ.

इन दोनों खानदानों का इतना दबदबा और रायसुमारी है की इनलोगों ने मान रखा है की कश्मीर में ये दोनों परिवार जो चाहें निर्णय ले सकते हैं और उसे कश्मीर के सभी जातियों को मानना पड़ेगा. कश्मीर के गुज्जर हों या दलित, हांजि, सोफि, दर्जी, नानबाइ किसी की कोई हैसियत नहीं की वह इन दोनों खानदानों के आगे बोले. अब इसे क्या कहेंगे ? रस्सी जल गई पर ऐठन नहीं गई. सरकार भी चुप है. जैसे कश्मीर को फिर से जलाता हुआ देखना चाहती है?

इन दोनों खानदानों की तो पुरानी नियत रही है की कश्मीर अलग से देश बने. तभी तो ये लोग अमरीका के साथ मिलकर जम्मू – कश्मीर को आजाद देश बनाना चाहते थे. पहले ये दोनों परिवार  पाकिस्तान को अपना आका मानते थे. जब पाकिस्तान चीन के हवाले हो गया तो सीधा चीन से संपर्क साध लिया. इस सम्बन्ध में मीटिंग बुलाने से पहले फारूक अब्दुल्ला ने दो बातें स्पष्ट कर दी थी. 1) कश्मीरी भारत के साथ रहने की बजाय चीन के साथ रहना ज्यादा पसंद करेगा. 2) चीन की सहायता से अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करवाया जाएगा.

इधर सोनिया कांग्रेस ने तो चीन के साथ पारस्परिक हितों को लेकर बाकायदा एक एमओयू कर रखा है. इसलिए वे बेहतर तरीके से चीन की आगामी भूमिका पर प्रकाश डाल सकते थे, लेकिन उन्होंने अब्दुल्ला परिवार को सूचित कर दिया था कि मैं चीनी वायरस का टेस्ट करवा रहा हूं, इसलिए नहीं आ पाऊँगी. अब इन सभी ने मिल कर जम्मू – कश्मीर के लिए पीपुल्स एलायंस बनाया है. जिसमें शेख भी हैं, सैयद भी, चीन भी है और पाकिस्तान भी है. नहीं हैं तो कश्मीरी. दलित नहीं हैं, जम्मू वाले नहीं हैं और लद्दाख वाले तो हो ही नहीं सकते, क्योंकि चीन ने स्पष्ट कह दिया है कि हमारा सारा झगड़ा इसलिए है क्योंकि लद्दाख में अब सड़कें बन रही हैं, पुल बन रहे हैं, रेल लाने की तैयारियां हो रही हैं.

इसी से अंदाजा लग जाता है की जम्मू – कश्मीर के साथ – साथ लद्दाख अब विकास की राह पर चल दिया है. चीन के साथ – साथ सोनिया, शेखों और सैयदों का क्या होगा यह तो समय बताएगा. फ़िलहाल इन तीनों ने नाक में दम कर रखा है इसका कोई उपाय होना चाहिए.3

  • साभार पल्लव टाइम्स

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