दीपावली ; घी का दीया जवानों के नाम

चेन्नै. दीपावली आ गई. एक ओर जहाँ सामाजिक कार्यकर्त्ता दीपावली में चीन के कैंडल नहीं जलने को प्रचारित कर रहे हैं वहीँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” में कहा है कि राष्ट्र की सीमाओं के सुरक्षा में लगे सेना के जवानों के साथ देश मजबूती के साथ खड़ा है. उन्होंने लोगों से अपील की कि इस दीपावली में देश के लोग अपने घरों में एक दीया सीमा पर तैनात जवान के नाम जलाएं. यहाँ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को यह जोड़ना चाहिए था की “उन श्रध्ये आत्माओं के नाम जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपना शरीर बलिदान कर दिया”. सीमा पर तैनात जवानों को पास के गाँव की माताएं – बहनें उन्हें घी के दीपक से आरती पर उनमें सहस भरें और विजयी होने का आशीर्वाद दें.

भारत राष्ट्र के प्रधानमंत्री मंत्री द्वारा ऐसा संबोधन देश के युवाओं के लिए उत्साह वर्धक है. इसका स्वागत करते हुए हमें अपने घरों में चीन के कैंडल नहीं मिट्टी के दीये और उसमें तील के तेल से बाती लगाकर वातावरण को प्रकाशमान कर देना चाहिए. जैसे हमारे यहाँ कोरोना आया ही नहीं.

31 अक्तूबर को सरदार पटेल की जन्म जयंती का जिक्र करते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि क्या आप सरदार पटेल के “सेंस ऑफ ह्यूमर” को जानते हैं? उन्होंने कहा कि जरा उस लौह पुरुष की छवि की कल्पना कीजिए जो राजे-रजवाड़ों से बात कर रहे थे और जन आंदोलन का प्रबंधन कर रहे थे. इन सब के बीच उनका “सेंस ऑफ ह्यूमर” पूरे रंग में होता था. आगे कहा कि बापू ने सरदार पटेल के बारे में कहा था – उनकी विनोदपूर्ण बातें मुझे इतना हंसाती थीं कि हंसते हंसते पेट में बल पड़ जाते थे. पीएम ने कहा कि हालात चाहे कितने ही खराब क्यों न हों, लेकिन व्यक्ति को अपना “सेंस ऑफ ह्यूमर” जिंदा रखना चाहिए. सरदार साहब ने भी यही किया था.

प्रधानमंत्री मोदी जी की एक और अच्छी बात – तीर्थाटन से भारत एक सूत्र में जुड़ता है. उन्होंने कहा कि त्रिपुरा से लेकर गुजरात तक, जम्मू कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक हमारे आस्था के केंद्र हमें एक करते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि 31 अक्तूबर को हम वाल्मीकि जयंती भी मनाएंगे. मैं महर्षि वाल्मीकि को नमन करता हूं और इस खास अवसर के लिए देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। पीएम ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने सकारात्मक सोच पर बल दिया. उनके लिए, सेवा और मानवीय गरिमा का स्थान, सर्वोपरि है. महर्षि वाल्मीकि के आचार, विचार और आदर्श आज नए भारत के हमारे संकल्प के लिए प्रेरणा भी हैं और दिशा-निर्देश भी हैं.

पल्लव टाइम्स पिछले 18 वर्षों से लिखते आ रहा है की हमारे तीर्थ और रामायण – महाभारत ही हमें जोड़े हुए है. वरना हम राजनीतिज्ञों के वोट के चक्कर में कब का अगल हो गए होते. कभी भाषा के आधार पर, कभी धर्म के आधार पर, अभी मंदिर के आधार पर तो कभी मस्जिद और चर्च के आधार पर. यह तीर्थ ही हैं जहाँ पर सभी एक दूसरे के प्रति श्रधा से नतमस्तक हो जाते हैं. हमारा अहम् टूट जाता है और हम एक हो जाते हैं. इसलिए तीर्थाटन, महाभारत और रामायण जैसे ग्रन्थ माध्यमिक शिक्षा के पढाया जाने वाला विषय होना चाहिए.

स्वदेशी कारन को बढ़ावा सरकार के लिए मजबूरी हो सकती है, पीएम पद के लिए मजबूरी हो सकती है. लेकिन व्यक्ति नरेन्द्र मोदी के लिए नहीं. इसलिए कहा – अभी कई त्योहारों की सीरीज सी आ रही है, जब आप खरीददारी करने जाएँ, तो वोकल फॉर लोकल का संकल्प जरूर याद रखें और खरीददारी में स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दें. पीएम ने कहा कि खुशियों के बीच हमें सफाई कर्मचारी, घर में काम करने वाले भाई बहन, सब्जी वाले और दूध वाले और सुरक्षा गार्ड को याद रखना है और इनके साथ पर्व मनाना है. वैश्विक भारत का पहला प्रधानमंत्री जिसमें स्वदेशी के लिए इतना खुल कर बोला है.

  •  साभार पल्लव टाइम्स

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