कोरोना वैक्सीन जोर–जबरदस्ती से बचें
कोरोना वैक्सीन को लेकर सोसल मिडिया में चर्चा गरम है की सरकार जोर – जबरदस्ती करने की तैयारी में है. जिस प्रकार से आधार कार्ड को लेकर सरकार ने जनता को घेर लिया और जनता को वाध्य होकर आधार कार्ड बनवाना ही पड़ा. जबकि देश के सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है की आधार कार्ड को लेकर कोई जबरन नहीं किया जाय. लेकिन सरकारों ने ऐसा घेरा की आधार कार्ड के बिना घर से निकलना मुश्किल हुआ. आधार कार्ड में हमारा अंगूठा लिया गया. जो लोग ऋषि अगस्त को जानते हैं उन्हें पता है की तमिलनाडु का यही कांचीपुरम है, जहाँ ऋषि अगस्त भगवान शिव के अनुज पुत्र कार्तिक के साथ हजारों वर्ष तक मानवीय अनुसंधान के कार्य में लगे रहे. उन्होंने यहीं पर नाडी ज्योतिष का अनोखा ज्ञान मानवीय कल्याण के लिए संसार को दिया. जिसमें उन्होंने कई लाख लोगों के बाएँ अंगूठे की रेखाओं को नारियल के पत्तों पर संग्रहित कर एक अध्ययन तैयार किया और बताया की इसमें उस मनुष्य के जीवन से जुडी सभी बातों को पढ़ा और समझा जा सकता है. जिसका अभ्यास अभी भी कुछ परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी करते आ रहे हैं. जानकार बताते हैं की यह विधा कई विदेशी कंपनियों के हाँथ लग चूका है और भारत की सरकार उन्हीं कंपनियों को आधार कार्ड के प्रबंधन के ठेके दे रखी है. ऐसे में हम भारतवासियों का व्यक्तिगत जीवन उनके हांथों में चला गया है. जो आज कोरोना को लेकर लूट का नंगा नाच कर रहे हैं. कोरोना फण्ड को हथियाने के लिए पुलिस प्रशासन, अधिकारी प्रशासन और डाक्टरी प्रशासन एक जूट होकर आम जन को क्या – क्या यातनाएं दे रहे हैं, सोसल मिडिया पर दिख रहा है. प्रश्न उठता है की आखिर किस आधार पर इतनी जोर – जबरदस्ती चल रही है ?
इस सम्पादकीय लेख का विषय यही है की आज जो भय सोसल मिडिया में चल रहा है की “जब तक कोरोना वैक्सीन आ नहीं जाती तब तक लॉक – डाउन पूरी तरह से नहीं खुलेगा. फिर लोगों को रेल स्टेशन, बस अड्डा और सभी सार्वजानिक स्थानों पर पकड़ – पकड़ कर वैक्सीन लगाया जायेगा.” स्कूल तभी खुलेंगे “जब बच्चों को वैक्सीन देने की पूरी व्यवस्था हो जाएगी. तब कहीं जा कर स्कूल खुलेंगे”. इस भय के कुछ ठोस कारण भी हैं. इससे पहले जितने भी वैक्सीन लगाये गए उसमें कहीं न कहीं वैक्सीन कंपनियों के अपने हित सधते दिखे हैं. इसलिए वैक्सीन को लेकर लोगों में विश्वास चकनाचूर हो गया है और अब तो और भी, क्योंकि उनके पास हमारा अंगूठा भी है और ऋषि अगस्त के समीकरण भी.
दूसरी तरफ कोरोना वैक्सीन को लेकर सोसल मिडिया में जो चर्चा है की “यह वैक्सीन गाय जैसी जीव के गर्भ में पल रहे गर्भस्त शिशु को निकाल कर उसके जिन्दा ह्रदय के कुछ विशेष रसों से तैयार किया जा रहा है. यह तो और भी घातक है. विशेष कर हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए. इसके लिए लाखों गायों के गर्भस्थ शिशु का गर्भपात कराया जायेगा. जिसमें लाखों की संख्या में गायें भी मारी जाएँगी.
इसलिए सरकारों को इस विषय पर स्पष्टीकरण देना चाहिए की कोरोना वैक्सीन को लेकर कोई जोर – जबरदस्ती नहीं की जाएगी. न ही स्कूली बच्चों के साथ ऐसा कुछ होगा. यहीं पर यदि इस विषय पर सरकार चुप्पी साध लेती है तो शक गहरा जायेगा की सरकार कोरोना वैक्सीन को लेकर जोर – जबरदस्ती करने की जुगाड़ लगा रही है.
यदि ऐसा हुआ तो हम जनता को इसका विरोध करने की तैयारी कर लेनी चाहिए. भारत की जनता अभी से पत्र लिख कर सरकार से स्पष्टीकरण मांगे. नहीं दिए जाने पर कोरोना वैक्सीन के विरोध की पृष्ठभूमि तैयार कर लेने का समय आ गया है.
- वन्दे मातरम
- साभार पल्लव टाइम्स