सौर-पवन ऊर्जा की ओर भारत

चेन्नै. आने वाले दिनों में सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा का प्रचलन बहुत ही बढ़ने वाला है. इसकी संभावना इसी से दिखती है की मार्च 19 से लेकर मार्च 20 तक देश में 24.9 प्रतिशत उर्जा का उत्पादन सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा से हो रहा था जो बढ़ कर 30 प्रतिशत हो गया है. यह स्पष्ट करता है ही उर्जा का भविष्य उज्जवल है. इसमें दोनों पक्षों के लिए संभावना बढ़ती दिखलाई दे रही है. 1) उपभोक्ता और 2) निवेशक.

अभी तक जो प्रचलन चलती आ रही है उसमें तेल, गैस, कोयला और आणविक उर्जा है. तेल, गैस और कोयला जहाँ बहुत सुरक्षित है वहीँ आणविक उर्जा के श्रोत और उसके अवशेष प्रकृति को नष्ट करने वाले हैं. डर है की तेल, गैस, कोयला समाप्त हुआ तो उर्जा के लिए कहाँ जायेंगे? इसी डर ने हमें आणविक उर्जा की ओर ले कर गया है. सस्ता है लेकिन बहुत ही खतरनाक भी है.

अब इससे भी आगे प्राकृतिक श्रोत का समय आ गया है. जिसमें सौर उर्जा और पवन उर्जा सबसे बड़े रूप में उभर कर आ रहे हैं. सौर उर्जा केन्द्रित और विकेन्द्रित दोनों रूपों में स्थापित हो रहा है जबकि पवन उर्जा केवल केन्द्रित रूप में विकसित हो रहा है. इसलिए निवेशकों के लिए पवन उर्जा जहाँ लाभकारी है वहीँ स्वयं के उपयोग के लिए सौर उर्जा हितकर है. भारत के 80 प्रतिशत से अधिक भाग में सौर उर्जा के लिए प्रयाप्त सूर्य किरणें आती हैं. इस कारन से भी सौर उर्जा भारत के लिए अधिक कारगर है.

इन्हीं कारणों से भारत अब ऊर्जा क्षेत्र में इस दृष्टि से आत्म निर्भर हो रहा है. देश में ऊर्जा की कुल आवश्यकता के 99.6 प्रतिशत भाग की उपलब्धता होने लगी है, जो वर्ष 2012-13 में 91.3 प्रतिशत ही हो रही थी. लेकिन उर्जा के श्रोतों पर बात करें तो अभी भी विदेशों पर निर्भरता है.

अन्तर्राष्ट्रीय ऊर्जा संस्थान द्वारा किये गए सर्वे के अनुसार भारत में 95 प्रतिशत लोगों के घरों में बिजली की उपलब्धता है. समीक्षा प्रतिवेदन में यह भी बताया गया है कि ऊर्जा के क्षेत्र में निजी निवेश की मात्रा भी बढ़ी है, जिससे भारत में ऊर्जा के क्षेत्र की दक्षता में सुधार होने की संभावना भी दिखलाई दे रही है. ऊर्जा की दक्षता बढ़ने के कारन ऊर्जा की माँग में 15 प्रतिशत की कमी आई है. ऊर्जा की माँग में कमी का मतलब 30 करोड़ कार्बन के उत्सर्जन को टाला जा सका है.

भारत सरकार ने ऊर्जा के क्षेत्र के भविष्य को सुरक्षित, सस्ता और व्यावहारिक बनाने के उद्देश्य से कई नीतिगत निर्णय लिए हैं. साथ ही, देश के परिवहन क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों को उतारने की जो पहल की जा रही है, उससे स्वच्छ परिवहन की शुरुआत होगी. हाल ही के समय में भारत सरकार ने ऊर्जा भंडारण निदान, स्वच्छ ईंधन और विपणन क्षेत्र को उदार बनाने की दिशा में कई कार्य किये हैं. भारत में 28 करोड़ परिवार के घरों तक रसोई घरों तक पाइप से सीधे गैस पहुंचाने का कार्य भी हो चूका है. केंद्र सरकार के इन्हीं सुधारों के कारन इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिल रही है.

मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से दो बड़ी क्रांतियाँ ऊर्जा के क्षेत्र में हुई हैं. 1) एलइडी सम्बंधी क्रांति और 2) एलपीजी. इसके अलावा सौर उर्जा व पवन उर्जा में भी भारत सरकार का काफ़ी ज़ोर रहा है. विकसित देशों की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत बहुत कम है, यह विश्व के औसत का एक तिहाई ही है. अतः भारत सरकार लगातार यह कोशिश कर रही है कि देश में ऊर्जा की कमी को ख़त्म कर स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता को बढ़ाया जाये.

आज बिजली से चालित वाहनों की ओर हमारे देश में जो रुझान देखने में आ रहा है उसे तेज़ करना ज़रूरी है. इस सम्बंध में आक्रामक एवं अद्वितीय नीतियों को लागू करने की आज आवश्यकता है. सार्वजनिक वाहनों को भी बिजली से ही चलाया जाना चाहिए और मालवाहक ट्रकों का उपयोग ज़्यादा से ज़्यादा होना चाहिए.

भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी एवं असम से कच्छ तक गैस पाइप लाइन का जाल बिछाने की योजना है जिससे गैस ग्रिड विकसित किया जा सके. अभी कुल ऊर्जा में गैस का योगदान केवल 6 प्रतिशत के आसपास ही है इसको 15 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है. राष्ट्रीय स्तर पर योजना तो बना ली गई है परंतु इसके क्रियान्वयन को देखना है की यह कितनी तेजी के साथ बन खड़ा हो जाता है.

  •  साभार पल्लव टाइम्स

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